उत्तर प्रदेश के अयोध्या के एक शीर्ष पुजारी ने NDTV से कहा है कि बाबरी विध्वंस की बरसी (6 दिसंबर) पर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा को लेकर फोकस, राज्य में अगले कुछ माह में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है.
दक्षिणपंथी संगठन अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से शाही ईदगाह पर भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने की धमकी के मद्देनजर राजधानी लखनऊ से 400 किमी दूर मथुरा में आज सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. यह मस्जिद, कृष्ण जन्मभूमि स्थल के बगल में ही है और इसके, जन्मभूमि का हिस्सा होने का दावा करने वाली याचिकाएं स्थानीय कोर्ट्स में लंबित हैं.
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पुलिस के सख्त कार्रवाई की चेतावनी के बाद संगठन ने अपनी योजना को रद्द कर दिया. मथुरा के ‘टकराव’ के बारे में पूछे जाने पर अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि, जहां निर्माणाधीन राम मंदिर का काम 2024 के आम चुनाव के पहले पूरा होने की संभावना है, के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि उनकी इस बारे में दिलचस्पी नहीं है.
उन्होंने NDTV से कहा, ‘यह पूरी तरह से बीजेपी पर है…हमारी सीमा रामलला तक है, हम मथुरा की ओर नहीं देख रहे. रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है. इसके बाद वे काशी जाएं या मथुरा, यह पूरी तरह से बीजेपी का मामला है….वे अपनी राजनीति जारी रखेंगे.
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इसी दिन शाम को मौर्य ने अपने ट्वीट को न्यायोचित ठहराया था. संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा था, ‘विपक्ष मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करता है. मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि राम जन्मभूमि में भव्य मंदिर और वाराणसी में काशी कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है…और हर कोई कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर चाहता है. मैंने केवल लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया. मैं अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं… वे मथुरा में मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हैं या विरोध?
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सोर्स – ndtv.in